हर ज़ख्म भर जाता है एक दिन , शायद ये सच ही कहा है किसी ने!!
कल तुम गए तो ऐसा लगा के सांसें कम सी हो गयी हैं , ज़िन्दगी जैसे ख़त्म होने को है , जैसे हवाओं ने रुख मोड़ लिया है, जैसे वक़्त थम सा गया है, पर नहीं ! ऐसा कुछ हुआ नहीं था , ये बस वो एहसास थे, मेरे ज़हन जो में बस गए थे , तुम्हारे जाने की वजह से , तुम नहीं थे , और इस बात को स्वीकार करना मेरे लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन सा था ! तुम्हारा जाना मेरे अस्तित्व के अधूरेपन का एहसास दिला रहा था , मैं टूट गयी थी , बिलकुल अकेली हो गयी थी , सब थे आसपास लेकिन मुझे कोई नज़र ही नहीं आता था , बस दिन रात ….तुम्हारा ख्याल , तुम्हारी ही शक्ल दिन रात मेरे ज़हन में घुमती फिरती थी ! ऐसा लगता था मानो मेरी सांसें तो चल रही हैं …पर मैं जिंदा नहीं हूँ ! मेरी नज़रें एक टक जाने क्या देखा करती थी ! घंटों , पहरों , कई दिनों तक …बस एक सोच उन सांसों के साथ मेरे ज़हन में दौड़ा करती थी ! कैसे ! आखिर कैसे तुमने मुझे ऐसा समझा होगा !! क्या सोचकर तुमने वो बात कही ! मुझपर इलज़ाम लगते वक़्त क्या तुम्हारे होंठ काँपे नहीं! क्या कुछ भी याद नहीं रहा होगा तुम्हे उस वक़्त!! वो पल वो लम्हें जो हमने साथ गुज़ारे थे, तुम मुझसे कहा करते थे, हम एक दुसरे के बिना बिलकुल अधूरे हो जाएँगे! हाँ ये तो हुआ पर सीर्फ मेरे साथ! बहोत गहरी चोट पहोचाई मुझे और इस बार मैं बिलकुल टूट गयी!!
पर आसपास सबकुछ तो वैसा ही था , जैसे तुम्हारे सामने हुआ करता था , हवाएं बहती थी और अपना असर अब भी छोड़ जाती थी , चिड़ियों की चहचहाहट वादियों में अब गूँज रही थी, वक़्त भी अपनी रफ़्तार पकडे चल रहा था , और एक वक़्त आया जब इन आँखों ने भी थक कर आंसू बहाना छोड़ दिया !
सब बदल जाता है न ! सारे लम्हे कहीं अन्दर घुसकर बैठ जाते हैं ! जब ये ज़ख़्म ताज़ा होते हैं तो हर वक़्त हर पहर अपने होने का एहसास दिलाते हैं ! पर धीरे धीरे ये दम तोड़ देते हैं ! और दिल के किसी कोने में उसकी लाश पड़ी होती है ! जिसे वक़्त के साथ हम खुद दफ्न कर देते हैं !............. कुछ भी नहीं बचता ..कुछ भी नहीं …
जब ज़िन्दगी ख़त्म होती है तो अपने पीछे यादें छोड़ जाती है ! जिन्हें हम अपने अन्दर सहेजकर रखते हैं ! और जब कभी दिल चाहे उसे खोलकर देख लेते हैं ! यादों की पोटली को खोलो तो कभी आँखें नम होती हैं और कभी होठों पर हल्की सी मुस्कान बिखर जाती है !
लेकिन जब रिश्ता ख़त्म होता है ……..तो कुछ भी नहीं बचता कुछ भी नहीं ! वहां सीर्फ मौत होती है, रिश्ते की मौत!