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Showing posts from July, 2013

मैं तब भी वहीँ खड़ी थी ठीक तुम्हारे पीछे

मैं तब भी वहीँ खड़ी थी ठीक तुम्हारे पीछे कि जब तुम उसका मुह तक रहे थे कि वो कुछ बोले ऐसा जिसको सुनकर मिल जाए तुम्हे सुकून, आ जाए तुम्हारे मन को चैन मिल जाए तुम्हारे दिल को  करार मैं तब भी वहीँ खड़ी थी ठीक तुम्हारे पीछे कि जब तुम उसका मुह तक रहे थे और उसने पलटकर तुमपर अपने शब्दों के बाण फेंके थे, तुम चित से पड़े थे कटु सत्य की ज़मीन पर, और वो हंसती हुई तुम्हारी लाचारी पर चल दी थी तुम्हे लांघते हुए, मैं तब भी वहीँ खड़ी थी ठीक तुम्हारे पीछे कि जब तुम्हारी उम्मीद बुझ रही थी, तुम्हारा प्यार नाउम्मीदी के तूफानों में घिरा था, तुम हताश से पड़े थे खुद में सिमटे, मैं खड़ी रही ताउम्र ठीक तुम्हारे पीछे कि कभी किसी मोड़ पर जो पैर तुम्हारे लड़खड़ाएं, तो थाम लूँ तुमको, टूटने न दूँ, रोक लूँ तुमको, खुद से रूठने न दूँ मुझे प्यार करना आया नहीं, पर मेरे आंसू तुम्हारी हर शिकस्त पर निकले, तुम्हारी मुस्कराहट मेरे जीने की वजह रही, तुम्हारे एक इशारे पर ये दुनिया छोड़ दूँ ऐसे जज्बों से मेरा दिल सराबोर रहा, मुझे प्यार करना तो आया नहीं, फिर भी मैं खड