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Showing posts from April, 2014

चंद अशआर

चंद रिश्तों के नाम नहीं हुआ करते, उनके जुड़ने की पर चर्चा बहुत होती है.. मुझको मेरे घर का रस्ता बता ज़रा, मैं खुद को शायद कहीं तुझमें भूल आई हूँ..