एहसास मर जाते हैं,
ख़त्म हो जाते हैं,
दफ्न हो जाते हैं
जब एहसासों पर चढ़ जाती है परत,
इंतज़ार की,
अकेलेपन की,
नाउम्मीदी की....
नाउम्मीदी, नाकामी से बड़ी होती है, नाउम्मीदी, एक गहरी खाई
है,
उसके आगे कुछ भी नहीं, वो आखिरी पड़ाव है...
Very rightly described. ....great
ReplyDelete